सोमवार, 22 जून 2015

आप जबसे जिंदगी में आ गए

"आप जबसे जिंदगी में गए"

फूल सारे खिल उठे मेरे चमन के, रंग--खुशबू वादियों में छा गए
आप जबसे जिंदगी में गए

कोई तस्वीर सीने में ठहरती थी नहीं,कोई भी बात इस दिल में उतरती थी नहीं
हमें क्या, ये अचानक हो गया,सभी ये रंग दिल को भा गए
आप जबसे जिंदगी में गए

नज़र में सभी की हमी थे अकेले,नज़र उठ गयी तो उठे सारे मेले,
आपने ये किस अदा से छू लिया, एक नज़र में हम ख़ुदा को पा गए
आप जबसे जिंदगी में गए

                                                                      - आयुष पुरोहित " जटिल"

बुधवार, 17 जून 2015

दर्द

जीवन दर्द का झरना है,
जो भी जीते है, दर्द भोगते है,
और, दर्द भोगते-भोगते ही हमें मरना है

दर्द नियति की दुकान  की निहाई है,
दर्द भगवान के हाथ का हथौड़ा है,
देवता, हम पर चोटें देकर, हमें संवारता और गढ़ता है,
शायद यह बात सच है कि,
आदमी, दर्द में विकसित होता, खूबसूरत बनता, और बढ़ता है


- आयुष पुरोहित " जटिल"

मंगलवार, 16 जून 2015

वजह

"वजह"
नहीं है बेवजह, यूँ जिंदगी में आना तेरा,
नहीं है बेवजह, यूँ दिल पे मेरे छाना तेरा
नहीं है बेवजह, यूँ जिंदगी को आग  में रखकर,
मेरी ही राख़ से, मुझको ही, मुझसे पाना तेरा
नहीं है बेवजह, यूँ दिल में समाना तेरा,
नहीं है बेवजह, आँखों में भर जाना तेरा
नहीं है बेवजह, सब छोड़कर मेरे लिए,
दबे क़दमों से मेरे घर पे, चलके आना तेरा
नहीं है बेवजह, सांसों में बस जाना तेरा,
नहीं है बेवजह, नींदों पे छा जाना तेरा,
नहीं है बेवजह, दिल को चुराकर, दिल बदल लेना
नहीं है बेवजह, सीने की धड़कन बन  जाना तेरा

हाँ, वजह है, और वह वजह यह है,
ख़ुदा ने लिख दिया, की तू है दौलत मेरी,
ख़ुदा ने लिख दिया, की मैं हूँ खज़ाना तेरा


- आयुष पुरोहित " जटिल"

शनिवार, 13 जून 2015

क्यूंकि दिल में आज भी तुम

क्यूंकि दिल में आज भी तुम

.. इसलिए हँसता- हँसाता,
रोज नव-उत्सव मनाता,
करती हृदय स्पर्श,
मेरे पास ही तुम
क्यूंकि दिल में आज भी तुम |

प्रेम झरता है नयन से, वाणी से झरती कविता;
रात में तुम चांदनी हो, और दिन में हो सविता,
सूखी धरती में ह्रदय की, निर्झरों की आस भी तुम
क्यूंकि दिल में आज भी तुम |

जो भी मेरे गीत है, तुम हो सभी की प्रेरणा,
छू ह्रदय का तार, मुझसे दूर अब पैठना
गीत भी तुम, गायिकी तुम, और उसका साज भी तुम
क्यूंकि दिल में आज भी तुम |


आयुष पुरोहित "जटिल"